धांगर विन्ध्य क्षेत्र के आदिवासियों की एक जाति है - हो सकता है वे दूसरे इलाके में भी हों। जांगर का मतलब होता है मेहनत। करमा आदिवासियों का गीत -नृत्य है ।
धांगर का जांगर खटे, खटे पहाड़ - पहाड़ ।
इस जंगल - क़ानून में सौ - सौ खाय पछाड़ ॥
आज़ादी क्या चीज है कोई उसे बताय ।
जो जंगल से बेदखल जंगल को ललचाय ॥
वनवासी - गिरिजन हुआ ठीकेदार का शूल ।
इसे प्यार से देख तू यह महुआ का फूल ॥
वनवासी की जिंदगी या की झाड़-झंखाड़ ।
जैसी सूखी लकड़ियाँ उसके तन के हाड़॥
एक फैक्टरी खुल गयी जिस जंगल के पास ।
वनवासी ढहकर गिरा करमा हुआ उदास ॥
तू पहाड़ पर खड़ा है सूरज तेरे पास ।
तेरे घर अंधेर क्यों , क्यों तू बहुत उदास ॥
जंगल - जंगल तुम चले , चले नदी के तीर ।
तेरे घर में चोर है ऐ पर्वत के वीर ॥
तू इतना चुपचाप है जैसे एक एक पहाड़ ।
मौसम की दहशत बड़ी या तेरी चिग्घाड़ ॥
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
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