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Thursday, December 17, 2009

अजब प्रेम की गजब कहानी

अजब प्रेम की गजब कहानी ।

लोकतंत्र का गला सूखता जनता पानी - पानी ॥

रामदास को हुई रतौंधी रहीम की गूंगी बानी,

गावं - गली में भूख बिराजै मिले न दाना - पानी ॥

ठेकेदारी धन सरकारी ले गए दिलवर जानी,

कुछ बैठे भोपाल - लखनऊ कुछ दिल्ली रजधानी ॥

ऐ के सैंतालिस, गाड़ी क्वालिस, आंखों में शैतानी,

डंडा - झंडा, हर हथकंडा, बोले मधुरी बानी ॥

आज माफिया कल को मंत्री यह भविष्य की बानी,

ना जाने किस भेष में आए, जो बूझे सो ग्यानी ॥

9 comments:

  1. वर्तमान परिस्थितियों की सही बानगी

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  2. आपको पढ़ने में मजा आ रहा है।

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  3. गजब कविता लिखी है.कडवा सच लिखा है.
    घुघूती बासूती

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  4. आज के माहौल को चीद्ती-फद्ती यह रचना सोचने को मजबूर कर ही देती है...

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  5. sir aap k kar kamalo se likhi gayi अजब प्रेम की गजब कहानी bahut hi rochak hai

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  6. आपके ब्लॉग को देखना सुखद अनुभव रहा।

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  7. sir your each an every line are very good

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