अजब प्रेम की गजब कहानी ।
लोकतंत्र का गला सूखता जनता पानी - पानी ॥
रामदास को हुई रतौंधी रहीम की गूंगी बानी,
गावं - गली में भूख बिराजै मिले न दाना - पानी ॥
ठेकेदारी धन सरकारी ले गए दिलवर जानी,
कुछ बैठे भोपाल - लखनऊ कुछ दिल्ली रजधानी ॥
ऐ के सैंतालिस, गाड़ी क्वालिस, आंखों में शैतानी,
डंडा - झंडा, हर हथकंडा, बोले मधुरी बानी ॥
आज माफिया कल को मंत्री यह भविष्य की बानी,
ना जाने किस भेष में आए, जो बूझे सो ग्यानी ॥
वर्तमान परिस्थितियों की सही बानगी
ReplyDeleteआपको पढ़ने में मजा आ रहा है।
ReplyDeleteगजब कविता लिखी है.कडवा सच लिखा है.
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आज के माहौल को चीद्ती-फद्ती यह रचना सोचने को मजबूर कर ही देती है...
ReplyDeletevery nice sir ji
ReplyDeletesir aap k kar kamalo se likhi gayi अजब प्रेम की गजब कहानी bahut hi rochak hai
ReplyDeleteआपके ब्लॉग को देखना सुखद अनुभव रहा।
ReplyDeletesir your each an every line are very good
ReplyDeletevery nice sir ji
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