साथ-साथ

Monday, November 16, 2009

कोई ख़ास बात नहीं

जब शहर में भीड़ हो इतनी

की जितनी रोज रहती है

शोर हो इतना

की जितना रोज होता है

भूख औ बीमारियों से

मरते हों इतने लोग

की जितने रोज मरते हैं

जलसे में - जुलूसों में

लोग इतने कुचल जाते हों

की जितने रोज कुचलते हैं

यहाँ तक की गावों में

उदासी इतनी हो

की जितनी रोज रहती है

तब भी किसी के पूछने पर

एक सभ्य जिम्मेदार

नागरिक की तरह

आप बोलेंगे -

कोई ख़ास बात नहीं, सब ठीकठाक है !

2 comments:

  1. सही है, यही कहेंगे।
    घुघूती बासूती

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  2. आर आर पाटिल की महाराष्ट्र गृहमंत्री पद की कुर्सी इसी चक्कर में तो गई थी।

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