साथ-साथ

Monday, November 16, 2009

वृक्ष के बारे में

जब आप वृक्ष के बारे में सोचते हैं

तब होते हैं वृक्ष की ही तरह अकेले

हवा की तरह निस्पंद

और वक्त गुजरता जाता है ।

यह होती है वक्त की मार

जब आपको धकियाकर

एक किनारे किसी अस्वीकृत पेड़ की तरह

छोड़ दिया गया होता है - भरे मौसम में ।

गहरी छटपटाहट लिए

दूर से देखते हैं आप

एक बहती हुई नदी

और भीतर का रस - स्रोत

सूखता चला जाता है ।

अपनी छाया से बेखबर

एक पेड़ के उखड़ने की शुरुआत

ठीक यहीं से होती है,

आख़िर कहाँ नहीं हैं हरियाली के दुश्मन !

No comments:

Post a Comment