दर्द का अपना इक मकान भी था श्याम सखा श्याम कवि और कथाकार-उपन्यासकार श्याम सखा श्याम ने बुनियादी तौर पर तो इलाज वाली डाक्टरी की पढ़ाई की है और वे एमबीबीएस, एफसीजीपी हैं, लेकिन उन्होंने रचनाकर्म पर पीएच.डी. और चार एम.फिल शोधकार्य भी किए हैं। उनके लेखन का क्षेत्र व्यापक है और हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी व हरियाणवी में उनकी कृतियां प्रकाशित व प्रशंसित हैं। हरियाणवी साहित्य अकादमी के निदेशक श्याम जी के गजलों की ताजा किताब शुक्रिया जिंदगी अभी-अभी हिंदी युग्म से छपकर आई है। पढि.ए इसी किताब की यह गजल- ॥ एक॥ जख्म था, जख्म का निशान भी था दर्द का अपना इक मकान भी था। दोस्त था और मेहरबान भी था ले रहा मेरा इम्तिहान भी था। शेयरों में गजब उफान भी था कर्ज में डूबता किसान भी था। आस थी जीने की अभी बाकी रास्ते में मगर मसान भी था। कोई काम आया कब मुसीबत में कहने को अपना खानदान भी था। मर के दोजख मिला तो समझे हम वाकई दूसरा जहान भी था। उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें फासिला उनके दरमियान भी था। खुदकुशी श्याम कर ली क्यों तूने तेरी किस्मत में आसमान भी था। श्याम सखा श्याम कवि और कथाकार-उपन्यासकार श्याम सखा श्याम ने बुनियादी तौर पर तो इलाज वाली डाक्टरी की पढ़ाई की है और वे एमबीबीएस, एफसीजीपी हैं, लेकिन उन्होंने रचनाकर्म पर पीएच.डी. और चार एम.फिल शोधकार्य भी किए हैं। उनके लेखन का क्षेत्र व्यापक है और हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी व हरियाणवी में उनकी कृतियां प्रकाशित व प्रशंसित हैं। हरियाणवी साहित्य अकादमी के निदेशक श्याम जी के गजलों की ताजा किताब शुक्रिया जिंदगी अभी-अभी हिंदी युग्म से छपकर आई है। पढि.ए इसी किताब की यह गजल-
जख्म था, जख्म का निशान भी था
दर्द का अपना इक मकान भी था।
दोस्त था और मेहरबान भी था
ले रहा मेरा इम्तिहान भी था।
शेयरों में गजब उफान भी था
कर्ज में डूबता किसान भी था।
आस थी जीने की अभी बाकी
रास्ते में मगर मसान भी था।
कोई काम आया कब मुसीबत में
कहने को अपना खानदान भी था।
मर के दोजख मिला तो समझे हम
वाकई दूसरा जहान भी था।
उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
फासिला उनके दरमियान भी था।
खुदकुशी श्याम कर ली क्यों तूने
तेरी किस्मत में आसमान भी था।
जख्म था, जख्म का निशान भी था
दर्द का अपना इक मकान भी था।
दोस्त था और मेहरबान भी था
ले रहा मेरा इम्तिहान भी था।
शेयरों में गजब उफान भी था
कर्ज में डूबता किसान भी था।
आस थी जीने की अभी बाकी
रास्ते में मगर मसान भी था।
कोई काम आया कब मुसीबत में
कहने को अपना खानदान भी था।
मर के दोजख मिला तो समझे हम
वाकई दूसरा जहान भी था।
उम्र भर साथ था निभाना जिन्हें
फासिला उनके दरमियान भी था।
खुदकुशी श्याम कर ली क्यों तूने
तेरी किस्मत में आसमान भी था।
कोई काम आया कब मुसीबत में
ReplyDeleteकहने को अपना खानदान भी था।
bahut hi badiya jitni tarif ki jaye unti kam
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arvind ji kripya apna yaar kahani blog me kalhva gaon do: gaon me katl, gena chaube ki hatya par diya gaya comment padhen
ReplyDeleteDhanyavaad