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Thursday, October 18, 2012

गद्य-वद्य कुछ लिखा करो

दिवंगत कवि त्रिलोचन का काव्य-व्यक्तित्व पचास वषों से भी ज्यादा लंबे समय तक फैला हुआ है। त्रिलोचन जी को अपना काव्यगुरू मानने वाले वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का कहना है- त्रिलोचन एक खास अर्थ में आधुनिक हैं और सबसे आश्चर्यजनक तो यह है कि वे आधुनिकता के सारे प्रचलित सांचों को अस्वीकार करते हुए भी आधुनिक हैं। यहां पढि.ए त्रिलोचन जी का एक सॉनेट- ----------------- गद्य-वद्य कुछ लिखा करो। कविता में क्या है। आलोचना जमेगी। आलोचक का दर्जा- मानो शेर जंगली सन्नाटे में गर्जा ऐसा कुछ है। लोग सहमते हैं। पाया है इतना रूतबा कहां किसी ने कभी। इसलिए आलोचना लिखो। शर्मा ने स्वयं अकेले बडे.-बड़े दिग्गज ही नहीं, हिमालय ठेले, शक्ति और कौशल के कई प्रमाण दे दिए : उद्यम करके कोलतार ले-लेकर पोता, बड़े-बड़े कवियों की मुख छवि लुप्त हो गई, गली-गली में उनके स्वर की गूंज खो गई, लोग भुनभुनाए घर में, इससे क्या होता ! रूख देखकर समीक्षा का अब मैं हूं हामी, कोई लिखा करे कुछ, जल्दी होगा नामी।

2 comments:

  1. सर आपने इसे अपडेट करना बंद क्यों कर दिया?

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  2. सर आपने इसे अपडेट करना बंद क्यों कर दिया?

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