साथ-साथ

Saturday, March 12, 2011

कालिदास बनकर भी क्या करेगा कालिये

कवि-गद्यकार विष्णु नागर जितने सहज व्यक्ति हैं, उतने ही सहज रचनाकार भी। वे बहुआयामी लेखक हैं- कथाकार, व्यंग्यकार, सुयोग्य पत्रकार और संपादक। मैं फिर कहता हूं चिडिय़ा और तालाब में डूबी छह लड़कियां कविता संग्रहों से पहचान बनाने वाले विष्णु नागर की चार छोटी कविताएं प्रस्तुत हैं-

एक
दोस्तो
मेरे दुश्मनों से मिलो
वे भी अच्छे लोग हैं
फर्क ये है
कि ये मेरे प्रशंसक नहीं हैं!

दो
रोने में
बच्चे का मन
खूब ही रमा हुआ था
रोने को वह गाने लगा था
गाता रहता इसी तरह वह कुछ और देर
मगर तभी कुत्ता कहीं से प्रकट हुआ
गाना फिर रोने में बदलने लगा।

तीन
कालिदास बनकर भी
तू क्या करेगा रे कालिये
ध्वज प्रणाम किया कर
ओ. के. साबुन से नहाकर
कमल-सा खिला कर
विज्ञापन- सा दिखाकर।

चार
एक नासमझ को
यह समझने में
बहुत वक्त लगा
कि वह समझदार नहीं है
बहुत ही बाद में उसे समझ में आया
कि खैर, यह भी अच्छा ही हुआ!

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