साथ-साथ

Tuesday, March 8, 2011

उपदेश नहीं सलाह

कवि कभी किसी धर्मगुरु की तरह उपदेश नहीं देता, वह हमेशा दोस्त की तरह सलाह देता है। पढि़ए मशहूर शायर निदा फाजली की ऐसी ही एक खूबसूरत दोस्त-गजल...

गजल/निदा फाजली

सफर को जब भी किसी दास्तान में रखना
कदम यकीन में मंजिल गुमान में रखना

जो साथ है वही घर का नसीब है लेकिन
जो खो गया है उसे भी मकान में रखना

जो देखती हैं निगाहें वही नहीं सबकुछ
ये एहतियात भी अपने बयान में रखना

वो एक ख्वाब जो चेहरा कभी नहीं बनता
बना के चांद उसे आसमान में रखना

चमकते चांद-सितारों का क्या भरोसा है
जमीं की धूल भी अपनी उड़ान में रखना

सवाल तो बिना मेहनत के हल नहीं होते
नसीब को भी मगर इम्तिहान में रखना

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