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Sunday, January 16, 2011

कोई इनकी सोई हुई दुम हिला दे!

किसी आदमी को अपमानित करने के लिए जिस पशु की जात से सबसे ज्यादा सम्बोधित किया जाता है, वह है बेचारा कुत्ता। लेकिन कुत्तों की हालत कुत्तों जैसी क्यों है- महान शायर फैज अहमद फैज की यह नज्म पढ़कर समझ सकते हैं...

कुत्ते/ फैज अहमद फैज
ये गलियों के आवारा बेकार कुत्ते
के बख्शा गया जिनको जौक-ए-गदाई
जमाने की फटकार सर्माया इनका
जहां भर की दुत्कार इनकी कमाई

न आराम शब की न राहत सवेरे
गिलाजत में घर, नालियों में बसेरे
जो बिगड़ें तो इक दूसरे से लड़ा दो
जरा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो
ये हर एक की ठोकरें खाने वाले
ये फाकों से उकता के मर जाने वाले

ये मजलूम मखलूक गर सर उठाएं
तो इंसान सब सरकशी भूल जाए
ये चाहें तो दुनिया को अपना बना लें
ये आकाओं की हडिूयां तक चबा लें

कोई इनको अहसास-ए-जिल्लत दिला दे
कोई इनकी सोई हुई दुम हिला दे।

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