साथ-साथ

Friday, September 24, 2010

हमारे वक्त की एक बीमारी के बारे में

हमारे वक्त की कई समस्याओं की वजह एक बीमारी है। इस बीमारी की पहचान अपनी एक कविता में कवि विनोद दास ने की है। यह कविता पढि.ए और सोचिए कि कैसे दूर हो यह बीमारी...

कोई नहीं सुनता/ विनोद दास

एक युवा कवि हताश था
कोई नहीं सुनता कविता
कवि मित्र भी नहीं

कोई किसी की नहीं सुनता
सुनना
अब एक प्राचीन दुर्लभ प्रक्रिया भर है
मैंने कहा

डॉक्टर रोग नहीं सुनता
दवा दे देता है

परीक्षक
उत्तर नहीं सुनते
और अंक दे देते हैं

बच्चे
दादी से कहानी नहीं सुनते
छोटे परदे पर देखते रहते हैं
संतति निरोध का विज्ञापन

टहल खत्म होने के बाद
पत्नी सुनाती है पूरे दिन की
अपनी व्यथा-कथा
पति नहीं सुनता
सिर्फ भरता रहता है हुंकारी

सच तो यह है
कोई अपने मन की आवाज भी नहीं सुनता

पूरी सभ्यता जैसे बहरी हो गई है
उसे एक उम्दा कान मशीन की जरूरत है।

1 comment:

  1. अत्यंत सुन्दर कविता है। उम्मीद है इस कविता ने कईयों को सुनना सिखा दिया होगा ।

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