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Thursday, July 22, 2010

बारिश आएगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी

कवि बद्रीनारायण की कविताओं की इमारत लोक की बहुत मजबूत नींव पर खड़ी है। उनके बारे में असद जैदी ने लिखा है- वे अपनी पीढ़ी के उन दो-तीन कवियों में हैं, जिनकी कविता से एक साफ चेहरा और कुछ रास्ता निकलता नजर आता है। आज के हत्यारे समय को ध्यान में रखते हुए लगभग बीस बरस पहले लिखी बद्रीनारायण की बहुचर्चित कविता प्रेमपत्र पढि.ए...

प्रेमपत्र/बद्रीनारायण

प्रेत आएगा
किताब से निकाल ले जाएगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच नोच खाएगा

चोर आएगा तो प्रेमपत्र चुराएगा
जुआरी प्रेमपत्र पर दांव लगाएगा
ऋषि आएंगे तो दान में मांगेंगे प्रेमपत्र

बारिश आएगी तो
प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आएगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र पर ही लगाई जाएंगी

सांप आएगा तो डंसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आएंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे।

प्रलय के दिनों में
सप्तर्षि, मछली और मनु
सब वेद बचाएंगे
कोई नहीं बचाएगा प्रेमपत्र

कोई रोम बचाएगा
कोई मदीना
कोई चांदी बचाएगा, कोई सोना

मैं निपट अकेला
कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेमपत्र!

1 comment:

  1. आभार इस रचना को पढ़वाने का.

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