कवि बद्रीनारायण की एक छोटी-सी कविता है - आइस-पाइस. यह दरअसल बच्चों का देसी खेल है- चकमा देनेवाला खेल खेल में कविता में कैसे बड़ी बात कही जा सकती है, इसका उदाहरण है यह कविता। मगर ऐसी उदूभावना कतई खेल नहीं है...
आइस-पाइस/बद्रीनारायण
बैठे हैं हम
गोल में
पहाड़ पर
खेलने आइस-पाइस
हमने कहा
नदी आइस-पाइस
पेड़-पौधे हरियाली आइस-पाइस
आइस-पाइस बादल
तूफान आइस-पाइस
हम ताक में हैं कि
कह दें
मौत आइस-पाइस।
badrinaath ki ye kavitaayen bhut achchi hai.. bhut bhut shukriya inke liye.
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