(मुंडारी लोकगीत का काव्यांतर : बारह)
हे मां, यह किस चीज से
सजाया है खोंपा,
चकचक कर रहा है!
हे मां, यह किस सूत से
बनी है साड़ी,
धारीदार दिख रही है!
हे बिटिया, यह सरसों तेल में
चुपड़ा खोंपा है,
चकचक कर रहा है
बिटिया, बड़ी जात वाली कपास का
सूत है यह
जो धारीदार दिख रहा है।
बहुत सुन्दर और सरल लोक गीत..."
ReplyDeleteबहुत ही दिल छूने वाली और जनता व ज़मीन से जुडी रचना....
ReplyDelete