साथ-साथ

Thursday, April 22, 2010

॥ ऐ लड़की॥

(मुंडारी लोकगीत का काव्यांतर : नौ)

ऐ लड़की, तेरी मां और चाचियां
सरहुल के त्यौहार पर हास-परिहास में लगी हैं
पर तू तो घर के पिछवाड़े
गुमसुम खड़ी है

तेरे पिता और चाचा लोग गए हैं अनुष्ठान में
पर तू तो बाहर, खाई के पास दुबकी पड़ी है।

पिछवाड़े खड़ी हो
और छप्पर का पानी तुम पर गिर रहा है
खाई के पास दुबकी पड़ी हो
लेकिन कगार की मिटूटी तो खिसक रही है!

2 comments:

  1. !!!!!!!!!!!

    तेरे पिता और चाचा लोग गए हैं अनुष्ठान में
    पर तू तो बाहर, खाई के पास दुबकी पड़ी है
    soch me dal diya

    shekhar kumawat

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