(मुंडारी लोकगीत का काव्यांतर : नौ)
ऐ लड़की, तेरी मां और चाचियां
सरहुल के त्यौहार पर हास-परिहास में लगी हैं
पर तू तो घर के पिछवाड़े
गुमसुम खड़ी है
तेरे पिता और चाचा लोग गए हैं अनुष्ठान में
पर तू तो बाहर, खाई के पास दुबकी पड़ी है।
पिछवाड़े खड़ी हो
और छप्पर का पानी तुम पर गिर रहा है
खाई के पास दुबकी पड़ी हो
लेकिन कगार की मिटूटी तो खिसक रही है!
!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteतेरे पिता और चाचा लोग गए हैं अनुष्ठान में
पर तू तो बाहर, खाई के पास दुबकी पड़ी है
soch me dal diya
shekhar kumawat
बहुत बढिया!!
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