साथ-साथ

Friday, April 16, 2010

॥ हे बिटिया॥

(मुंडारी लोकगीत का काव्यांतर : सात)
हे बिटिया,
जब तुम्हारा जन्म हुआ
बुंडू शहर जंगल से घिरा हुआ था
तुम जब बच्ची थी
लबालब पानी भरा था
चुआं में।

हे बिटिया,
जबतक तू चंचल किशोरी हुई
बुंडू का जंगल उजड़ गया
जबतक तू हुई जवान
चुआं का पानी सूख गया।

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