साथ-साथ

Thursday, February 4, 2010

राज ठाकरे - उद्धव - बाला !

राज ठाकरे - उद्धव - बाला !

चाचा चोर- भतीजा पाजी,
लोकतंत्र में ये हैं नाज़ी,
हिटलर के ये नव अवतार,
तोड़फोड़ - सेना - अखबार,

तीनो मिलकर बना रहे हैं
महाराष्ट्र को नरम निवाला !

राजनीति के पाकेटमार,
अव्वल धूर्त और मक्कार,
स्वयं स्वघोषित पहरेदार,
इनको लानत, सौ धिक्कार,

सागर तट पर कुँए के मेढक
पड़ा हुआ है अकल पे ताला !

3 comments:

  1. राजनीति है गडबडझाला
    शिवसेना है गन्दा नाला

    मातोश्री मे रहने बाला
    है वो देश बाटने बाला

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  2. लाजवाब्!
    किसी भी सच्चे भारतीय के दिल में इन लोगों के प्रति कुछ इस प्रकार की ही भावनाएं होंगी...

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  3. भारत तथाकथित सुधरे हुए समाज का एक हिस्सा है
    भारत का इतिहास इसी तरह के विभाजन और आपसी लड़ाई झगड़ों की दास्ताँ लिए हुए है
    २०१० का समय भी ये धर्म, क्षेत्रीयतावाद , जात पांत के भेद भावों को मिटा न पाया उसका
    बहुत अफ़सोस है -
    -- हर देश भक्त को नमन --
    भारतीय जनता कब संगठित होगी ?
    बातें करने का समय कब का बीत चूका है ...
    अब तो , कायरता का त्याग करो ...
    नेता क्या करेंगें ?
    सिर्फ टेक्स लेंगें आपसे ..
    जनता जनार्दन कब जागेगी ?
    - लावण्या

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