ऐ लड़की औरत बनो, करो मर्द से प्यार ।
झुकी हुई गर्दन रखो, वह भांजे तलवार ॥
चूल्हा - चक्की रात - दिन, टीका - बिंदी माथ ।
तू गुलाम उस पुरुष की पकड़ा जिसने हाथ ॥
नियम बनाए उसी ने वही करे गुणगान ।
वह तेरा स्वामी बना तू उसका सामान ॥
मर्द बने महिमा - पुरुष बांह तुम्हारी थाम ।
आत्म - समर्पण तुम करो हो जाओ बेनाम ॥
लक्ष्मी हुई कुलच्छनी, बेटी जाए तीन ।
भरी हिकारत हर नज़र, मिटे स्वप्न रंगीन ॥
कुलदीपक तो कुलवधू यह दुनिया की रीत ।
ऐ लड़की, बेमोल है व्याकुल मन की प्रीत ॥
वाह! क्या दो टूक बात की है।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
घुघूती बासूती
nice
ReplyDeleteआपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करेआपके और आपके परिवार के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!
ReplyDeleteजबरदस्त!!
ReplyDelete’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
acchi soch ko acche shbdon mein vyakt kiya hai aapne, badhaiyan!
ReplyDeleteबढ़िया रचना है\बधाई।
ReplyDeleteek ladki ke jivan baare me aapne bilkul sahi baat likhi.
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