साथ-साथ

Sunday, December 20, 2009

जब आप खर्राटे भरते रहे

आप तो सीधी सड़क पर

गाडी दौडाना जानते हैं ।

मत पढ़िए कविता

पता नहीं कहाँ - कहाँ तक

घसीट ले जाएगी, भद्रजन !

खतरनाक चीज है यह

अपनी रफ़्तार में फ़ेंक सकती है

गाड़ी को पटरी के बाहर,

आप तो बस जमाए रहिये कारोबार

करते हुए

बंगला - गाड़ी - राजनीति

औरत और बच्चों का जाप

मगर मत पढ़िए कविता

जिंदगी में खलल पैदा करेगी, कमबख्त ।

मसलन, एक लड़की

अपनी अच्छी उम्र तक

खाती रही नौकरी की मार

नहीं कर पाई प्रेम

मसलन, एक आदमी

कारोबार की फ़िक्र के साथ

इस चौकीदारी पर तैनात रहा

की बच्चों को लगने न पाये कविता की छूत

रात भर कविता का भूत

सताता रहा उस लड़की को

जो नौकरी के बजाय नहीं कर पाई प्रेम

और करवट बदल कर सुबकती रही

उम्र गुजर जाने के बाद

रातभर इस बेगानी दुनिया में

जब आप खर्राटे भरते रहे !

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