साथ-साथ

Tuesday, December 29, 2009

मौसम है मनमोहन जैसा

मौसम है मनमोहन जैसा

सबकुछ हो गया ग्लोबल - ग्लोबल, लोकल जैसा - तैसा ।

ख़बर रसीली बड़ी नशीली सैफ - करीना जैसी,

चैनल - चैनल मस्ती छाई, देखो गदह पचीसी ।

ठंडी जेब, तबीयत ठंडी, मन - मिजाज़ है ठंडा,

लोग पहेली बूझ रहे हैं पहले मुर्गी या अंडा ।

बड़े ठसक से बैंक गए थे सूरत हो गयी रोनी,

नकली नोट मिल गए भइया क्या होनी - अनहोनी ।

खेत बिक गए, भैंस बिक गयी, छुट्टा घूमे भैंसा

हम भी यहीं आप भी यहीं हुआ तमाशा ऐसा ॥

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