यह दिन
बड़ा मायूस करता है मुझे, रूपा !
बेटे का जन्मदिन
और टूटा हुआ घोडा ।
अपना रथ
न जाने किस जगह जाकर रुकेगा
बेबस बिना लगाम का
छूटा हुआ घोडा ।
यह जिंदगी
क्या रंग लाएगी, कभी सोचो
जब बात सुनता ही नहीं
रूठा हुआ घोडा ।
सब जल चुकी हैं बस्तियां
डाकू चले गए
अब हिनहिनाता है, खडा
छूटा हुआ घोडा ।
बहुत सुन्दर शब्द और अत्यंत सुन्दर भाव...वाह...अद्भुत रचना रच डाली है आपने
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