साथ-साथ

Sunday, December 13, 2009

घोडा

यह दिन

बड़ा मायूस करता है मुझे, रूपा !

बेटे का जन्मदिन

और टूटा हुआ घोडा ।

अपना रथ

न जाने किस जगह जाकर रुकेगा

बेबस बिना लगाम का

छूटा हुआ घोडा ।

यह जिंदगी

क्या रंग लाएगी, कभी सोचो

जब बात सुनता ही नहीं

रूठा हुआ घोडा ।

सब जल चुकी हैं बस्तियां

डाकू चले गए

अब हिनहिनाता है, खडा

छूटा हुआ घोडा ।

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर शब्द और अत्यंत सुन्दर भाव...वाह...अद्भुत रचना रच डाली है आपने

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