मौसम तो इंसान के अन्दर रहता है
औरत चाहे
पानी भरना -
भर न पाए
आखें भर -भर जायं ।
आग जलाना -
जला न पाए
तन - मन जलता जाय ।
ख्वाब जगाना -
जगा न पाए
रातें चुभ - चुभ जायं ।
औरत चाहे सब कुछ
लेकिन औरत रह - रह जाय ।
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