साथ-साथ

Wednesday, November 18, 2009

दोस्त के लिए

दोस्त की बगल में बैठ कर

दोस्त के लिए

कविता लिखना मुश्किल है

और दूर के शहर से लिखने में

चिट्ठी बन जाने का खतरा

मुझे कविता लिखना है

मैं खतरा ले रहा हूँ

इमानदारी से कहूं

तो दोस्त

कविता में कहकहे दे रहा हूँ

कहकहे - खुशी और चोट के बीच एक नदी

कहकहे - जीवन और कला के बीच एक पुल

कहकहे - आदमी के चूक जाने के समय मिली हुई मोहलत

कहकहे - अपने होने का ऐलान ।

फटी रजाई पर

पैबंद लगाना कला है

और फटी रजाई में

इस तरह पाँव डालना

की वह और न फटे

जीवन है ।

दोस्ती का मतलब

फर्क बताना है

मगर कविता और चिट्ठी

दोनों लिखना है ।

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