साथ-साथ

Thursday, November 19, 2009

हडबडी

दोस्त ने कहा -
इतनी हडबडी में क्यों हो
क्यों नहीं करते हो
मन लगाकर कोई एक काम
कुछ नहीं होना है दुनिया का
उससे अलग, जो कुछ होता चल रहा है
फिर काहे की हडबडी !
दोस्त ने कहा -
तुम्हारे चारो खाना चित हो जाने से भी
कुछ नहीं होना है दुनिया का
यही है दुनियादारी का तकाजा
इसे समझो
और मन लगाकर करो
कोई एक काम !
मगर कहाँ गयी हडबडी ?
दोस्त ने कहा -
यह जाती भी तो नहीं है, कमबख्त !

1 comment:

  1. बहुत उम्दा ....बहुत अच्छी सोच ...कई बार पढने के बाद ......

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