साथ-साथ

Saturday, November 28, 2009

किसकी है सरकार

बाप अंगूठा छाप था मरा कलम की मार ।

बेटा पढ़ - लिखकर हुआ धूर्त और मक्कार ॥

खूब लिखा अखबार ने बना जांच आयोग ।

लोकतंत्र में इस तरह मिटते सारे रोग ॥

घर से निकला खुश बहुत पहुंचा बीच बाज़ार ।

मुंह लटकाए लौटता खाई ऐसी मार ॥

शोकसभा, श्रद्धांजली, समारोह का मंच ।

सब मौके की चीज हैं, कब चुके सरपंच ॥

अगर जानना चाहते आज़ादी का सार ।

अपने मन से पूछ लो किसकी है सरकार ॥

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