साथ-साथ

Friday, November 20, 2009

औरत - तीन

ताप - संताप से

अपने विलाप से

संतों के पाप से

तोड़ रही है औरत

बंद दरवाजा ।

एक तकरार से

प्यार की मार से

झेले गए वार से

तोड़ रही है औरत

बंद दरवाजा ।

देह की गंध से

एकतरफा अनुबंध से

दुह्स्वप्नों के द्वन्द से

तोड़ रही है औरत

बंद दरवाजा ।

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