मौसम तो इंसान के अन्दर रहता है
ताप - संताप से
अपने विलाप से
संतों के पाप से
तोड़ रही है औरत
बंद दरवाजा ।
एक तकरार से
प्यार की मार से
झेले गए वार से
देह की गंध से
एकतरफा अनुबंध से
दुह्स्वप्नों के द्वन्द से
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