साथ-साथ

Thursday, November 12, 2009

आख़िरी उम्मीद

हत्यारे लाख कोशिश करें
मगर दुनिया के
रसातल में पहुँच जाने के बावजूद
मसान की मिट्टी से गर्दन उठा कर
खिलखिला पडेगा कोई फूल
कब्र के अंधेरे को फाड़कर
चंद हरी पत्तियों के साथ
निकल ही आएगी
एक जिद्दी टहनी

हत्यारे लाख कोशिश करें ।

जैसे मृत्यु के पहले
आदमी सौंप जाता है
अपनी भाषा किसी और को
तमाम दुर्घटनाओं में
दब -कुचल कर भी
मेरी आख़िरी उम्मीद
जीवन के अगल -बगल खडी रहेगी -
मौत को दुत्कारती -धिक्कारती

कविता नहीं बिछेगी
हत्यारों के पाँव के नीचे
कालीन बनकर
शब्दों से नहीं छीने जा सकेंगे
उनके अर्थ

हत्यारे लाख कोशिश करें ।

2 comments:

  1. बहुत जबरदस्त!!

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  2. मृत्यु शाश्वत सत्य है और आपके शब्दों ने उसे भी मात दे दी। इनके अर्थ हत्यारिन मौत भी नहीं छीन सकती।

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