साथ-साथ

Sunday, October 25, 2009

बर्फ

मुझसे टकराया मिट्टी का कच्चा घड़ा

और मैं टूट कर बिखर गया

एक हहराती नदी

अचानक मुझे भिगो गयी नीद में

आज तक गीले हैं

मेरे कपड़े

मैं कहाँ सुखाने जाऊं इन्हें

क्या बीती सदी के फ्रीज में

जमाई हुई बर्फ हूँ मैं

जिसे पिघलना है

अब नई सदी की धूप में .

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