साथ-साथ

Friday, May 6, 2011

चार छै चमचे रहें, माइक रहे, माला रहे

अदम गोंडवी की गजलें हमारे दौर का आईना हैं। वे उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के आटा परसपुर गांव में रहते हैं। व्यंग्य की ताकत का जैसा इस्तेमाल अदम गोंडवी अपनी गजलों में करते हैं, वैसा अन्यत्र नहीं मिलता। इस मोर्चे पर उन्हें अद्वितीय कहा जा सकता है। पढि़ए अदम की दो गजलें-

एक
जो डलहौजी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे
कमीशन दो तो हिन्दुस्तान को नीलाम कर देंगे।

सुरा व सुंदरी के शौक में डूबे हुए रहबर
दिल्ली को रंगीले शाह का हम्माम कर देंगे।

ये वन्देमातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकर
मगर बाजार में चीजों का दुगुना दाम कर देंगे।

सदन को घूस देकर बच गई कुर्सी तो देखोगे
अगली योजना में घूसखोरी आम कर देंगे।

दो
आंख पर पट्टी रहे और अक्ल पर ताला रहे
अपने शाहे-वक्त का यूं मर्तबा आला रहे।

देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आंख
सोचने को कोई बाबा बाल्टीवाला रहे।

तालिबे-शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे
आए दिन अखबार में प्रतिभूति घोटाला रहे।

एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार-छै चमचे रहें, माइक रहे, माला रहे।

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