साथ-साथ

Saturday, April 23, 2011

सीख जुनूं हर काम से पहले

अपने पहले ही उपन्यास आधा गांव से बेहद चर्चित राही मासूम रजा ने एक से बढ़कर एक औपन्यासिक कृतियां दी- टोपी शुक्ला, हिम्मत जौनपुरी, ओस की बूंद और दिल एक सादा कागज- और, हिंदी-उर्दू के बीच की दीवार गिरा दी। अत्यंत लोकप्रिय टीवी धारावाहिक महाभारत की पटकथा और संवाद भी राही ने ही लिखे थे। राही उच्च कोटि के शायर और प्रखर साहित्यिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विचारक भी थे। जिंदगी में बहुत काम आनेवाली पढि़ए उनकी यह गजल-

इल्जाम और ईनाम से पहले
सीख जुनूं हर काम से पहले।

क्यों एहसास का रोग लगाया
रहते थे आराम से पहले।

मैंने समझा था दोस्त है मेरा
वह आता था काम से पहले।

तेरा नाम मेरे किस्से में
आया मेरे नाम से पहले।

हम थे बड़े आजाद तबीयत
मंजिले-दानओ-दाम से पहले।

हम भी पहचाने जाते थे
अपने तर्जे-कलाम से पहले।

रात ने सूरज को समझाया
घर आ जाना शाम से पहले।

राही जी कुछ टूट चुके हैं
घर आते हैं शाम से पहले।

2 comments:

  1. तेरा नाम मेरे किस्से में
    आया मेरे नाम से पहले।
    बहुत शानदार
    मेरी नई पोस्ट देखें
    मिलिए हमारी गली के गधे से

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  2. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

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