वेलेंटाइन डे अगर प्यार का दिन है तो पढि.ए महान शायर इब्ने इंशा की यह गजल, जिसे गाकर गुलाम अली साहब ने पहले से ही मशहूर कर रखा है। इस गजल में इंशा का खुला मिजाज भी है और महसूस करना चाहें तो इश्क हकीकी से इश्क मजाजी तक का सूफियाना फलसफा भी।
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा
हम भी वहीं मौजूद थे हमसे भी सब पूछा किए
हम हंस दिए हम चुप रहे मंजूर था पर्दा तेरा
इस शहर में किससे मिलें हमसे तो छूटीं महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले हर शख्स दीवाना तेरा
कूचे को तेरे छोड़कर जोगी ही बन जाएं मगर
जंगल तेरे परबत तेरे बस्ती तेरी सहरा तेरा
हम पर ये सख्ती की नजर हम हैं फकीरे-रहगुजर
रस्ता कभी रोका तेरा दामन कभी थामा तेरा
हां-हां तेरी सूरत हसीं लेकिन तो ऐसा भी नहीं
इस शख्स के अशआर से शोहरा हुआ क्या-क्या तेरा
बेदर्द सुननी हो तो चल कहता है क्या अच्छी गजल
आशिक तेरा रूस्वा तेरा शायर तेरा इंशा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तेरा
हम भी वहीं मौजूद थे हमसे भी सब पूछा किए
हम हंस दिए हम चुप रहे मंजूर था पर्दा तेरा
इस शहर में किससे मिलें हमसे तो छूटीं महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले हर शख्स दीवाना तेरा
कूचे को तेरे छोड़कर जोगी ही बन जाएं मगर
जंगल तेरे परबत तेरे बस्ती तेरी सहरा तेरा
हम पर ये सख्ती की नजर हम हैं फकीरे-रहगुजर
रस्ता कभी रोका तेरा दामन कभी थामा तेरा
हां-हां तेरी सूरत हसीं लेकिन तो ऐसा भी नहीं
इस शख्स के अशआर से शोहरा हुआ क्या-क्या तेरा
बेदर्द सुननी हो तो चल कहता है क्या अच्छी गजल
आशिक तेरा रूस्वा तेरा शायर तेरा इंशा तेरा
मेरी मनपसंद!
ReplyDeleteसदाबहार
ReplyDeletei like
ReplyDeleteआभार पढ़वाने का.
ReplyDeleteसुना तो बहुत था आज पढ़ भी लिया।
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