सुपरिचित कवि-कथाकार गंगाप्रसाद विमल का पिछले ही दिनों कविता संग्रह आया है- खबरें और अन्य कविताएं। यह कविता पुस्तक छपी है किताबघर प्रकाशन से। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अनुवाद के प्रोफेसर रहे विमल जी की कविताएं और कहानियां प्रमुख भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेजी व अन्य विदेशी भाषाओं में भी अनूदित हो चुकी हैं।
इस बार : दो/गंगाप्रसाद विमल
अमीरों के बुद्धू बक्से में
हमारी तकलीफों के लिए
जिम्मेदार ठहराए जाएंगे
मच्छर। अशिक्षा। कुपोषण
फिर सुंदरियों के नंगे जिस्म
मुस्कराते चेहरे
परोसेंगे मौन सुख
अमीरों को
थोड़ी तसल्ली देंगे
वे अपनी तिजोरियों से
खनखनाते सिक्के निकालेंगे और
उछाल देंगे विज्ञापनों में
विज्ञापनों में बोए जाएंगे
हमारे सपनों के बीज
अपनी औषध कंपनियों से
निकालेंगे नई दवाएं
अपने लिए पैदा करेंगे
यौनवर्धक गोलियां
और जब हम
निहत्थे
उन्हीं के प्रजातंत्रों में
मांगेंगे हक तो हम पर
बरसा देंगे गोलियां
जनमत की सुरक्षा के नाम
इस बार कम ही होगी वर्षा
बादलों को विज्ञानसम्मत दिशा से
मोड़ देंगे अपनी अय्याशगाहों की ओर
उधर हम डूबेंगे कोसी में
बेतवा या
ब्रह्मनद में
इधर वे बटोरेंगे हमीं से
चंदा, कपड़े और दवाएं
उनके पोते-पोतियों के गैर-सरकारी केंद्र
करेंगे दान पर कब्जा
और हथियारबंद उनके सेवक
दलालों की तरह
मुटियाएंगे चुपचाप
हम तो नतमस्तक हैं आपकी कलम के आगे .....
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