साथ-साथ

Sunday, August 8, 2010

बद्रीनारायण की कटिूटस

 बच्चों में कटिूटस होती है मगर यह अदावत नहीं होती- रूठने-मनाने का खेल चलता रहता है। बद्रीनारायण के यहां कटिूटस एक खूबसूरत कविता बन जाती है...

कटिूटस

दोस्त! कटिूटस
कड़की के दिनों में दस-पांच रूपए उधार न देने के लिए
कटिूटस
एतवार को चुपके, अकेले होटल में खा आने के लिए
कटिूटस
पटने में चाय न पूछने
दिल्ली में ठीक से न बतियाने के लिए
कटिूटस
पिता के श्राद्ध में
बहन के विवाह में न पूछने के लिए कटिूटस
चिटठी देने को कह
चिटूठी न देने के लिए कटिूटस

दोस्त! इस पूरे जमाने भर तुमसे कटिूटस।

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