साथ-साथ

Friday, July 16, 2010

नरेंद्र जैन की कविता : रामलीला

गांव में चल रही
मथुरा की  आदर्श रामलीला के राम
दिन में आकर मिले
तार-तार वस्त्रों में

आदर्श रामलीला मंडल मथुरा से जारी
ग्यारह रुपए की रसीद
श्रीयुत्ï नरेंद्र जैन के नाम काटते हुए

दिखलाई दे रहे उनके माथे
और चेहरे पर
बीती रात के शृंगार के चिन्ह

मैं
दुखी हुआ कि
मथुरा का वह फटेहाल बाशिंदा
यहां- कहां आ पहुंचा

उनके ठीक पीछे आए वे
जो बीती रात
अभिनय करते रहे जानकी का

विश्व हिन्दू परिषद के
शर्मनाक दावों के मध्य
यह कैसा साक्षात्कार
फटेहाल राम
और दरिद्र जानकी से

यहां
आनंदपुर
में !

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