रंग आसमान से लिया
राख, धूल और रक्त से लिया रंग
कुछ आहट
प्रतीक्षा और खामोशी से
कविता के विचार से लिया रंग
कुछ रंग
बच्चे के पैरों की रफ़्तार से
एक बूँद
माथे से टपकते पसीने से
थोड़ा बहुत
गुजारे लायक
शब्दों से
रंग वहां भी रहे
जहां थापी जा रही थीं
हथेलियों में रोटियां
आखिरकार
कुछ रंग
भूख से लिया मैंने.
खूबसूरत पोस्ट
ReplyDeleteरंग वहां भी रहे
ReplyDeleteजहां थापी जा रही थीं
हथेलियों में रोटियां
आखिरकार
कुछ रंग
भूख से लिया मैंने. सुंदर अभिव्यक्ति ,शुभकामनायें