साथ-साथ

Sunday, March 21, 2010

श्रीकांत वर्मा की तरह पूछिए सवाल

कवि श्रीकांत वर्मा के दो कविता संग्रहों से एक-एक कविता आपसे साझा करने को जी चाहता है। पहली कविता उनके बाद के यानी अंतिम कविता पुस्तक मगध से ली गई है और दूसरी कविता मगध से पहले वाले संग्रह जलसाघर से ली गई है। जलसाघर 1973 में छपा था, जबकि मगध इसके ग्यारह साल बाद 1984 में आया था।

।। मित्रों के सवाल।।

मित्रो,
यह कहना कोई अर्थ नहीं रखता
कि मैं वापस आ रहा हूं।

सवाल यह है कि तुम कहां जा रहे हो?

मित्रो,
यह कहने का कोई मतलब नहीं
कि मैं समय के साथ चल रहा हूं।

सवाल यह है कि समय तुम्हें बदल रहा है
या तुम
समय को बदल रहे हो?

मित्रो,
यह कहना कोई अर्थ नहीं रखता,
कि मैं घर आ पहुंचा।

सवाल यह है
इसके बाद कहां जाओगे?

।। कलिंग।।

केवल अशोक लौट रहा है
और सब
कलिंग का पता पूछ रहे हैं

केवल अशोक सिर झुकाए हुए है
और सब
विजेता की तरह चल रहे हैं

केवल अशोक के कानों में चीख
गूंज रही है
और सब
हंसते-हंसते दोहरे हो रहे हैं

केवल अशोक ने शस्त्र रख दिए हैं
केवल अशोक
लड़ रहा था।

1 comment:

  1. हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

    लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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