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Thursday, March 18, 2010

देश की दिशा बकौल रघुवीर सहाय

1970 से 1975 तक की रघुवीर जी की कविताएं उनके कविता संग्रह हंसो हंसो जल्दी हंसो में संग्रहीत हैं। इसी संग्रह में है यह विडम्बना व्यक्त करती व्यंग्य कविता-

अतुकांत चंद्रकांत

चंद्रकांत बावन में प्रेम में डूबा था
सत्तावन में चुनाव उसको अजूबा था
बासठ में चिंतित उपदेश से ऊबा था
सरसठ में लोहिया था और और क्यूबा था
फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था
हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था

अब बचा महबूबा पर महबूबा था कैसे लिखूं

2 comments:

  1. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति..रघुवीर जी की रचना का जबाब नहीं.

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