साथ-साथ

Sunday, March 14, 2010

आए दिन बहार के उर्फ पैरोडी-2009

अरविंद चतुर्वेद

आए दिन बहार के
शेयर बाजार के
तेरे-मेरे प्यार के!
वाह घोटाला-वाह घोटाला-वाह घोटाला
सत्यम असत्यम, असत्यम सत्यम जय मधु कोड़ा
सारी घास खा के निकल गया रेस का घोड़ा
पाकों में मूर्तियों पर सर्वधन स्वाहा
बम विस्फोट, मारकाट, लाठीचार्ज आहा
चलो चलो कपडे. उतार के
आए दिन बहार के।

बंद-बंद-बंद
ओ मतिमंद
पैकेज लो अखबार छापो
कागज करो काला
मुंह पर डालो ताला
कहीं पर फुलस्टाप, कहीं पर कामा
थोड़ा हल्ला-थोड़ा हंगामा
मल्टीनेशनल की माया
बीटी का गुन गाया
गाया-बजाया-नचाया
ललचाया-भरमाया-आजमाया
खाया-पचाया
दिन आए कर्जे-उधार के
भूख के विकास के-विनाश के
और कारोबार के
चैनल कहे पुकार के
आए दिन बहार के।

कवि और कविता की ऐसी-तैसी
चेक-बांड और करेंसी
डालर-डालर-डालर
तस्कर स्कालर
सभागृह समारोह फाइव स्टार के
मनमोहन मुहूर्त पुरस्कार के
आए दिन बहार के
तेरे मेरे प्यार के।

गांव-गांव-गांव
च्राजनीति’ अंगद का पांव
अगड़े पिछड़े
पिछड़े अगड़े
जिनके पांव साबुत
कर दो उन्हें लंगड़े
गिरा के, धक्का मार के
आए दिन बहार के।

जाएं तो जाएं कहां?


गाए जा गीत मिलन के
तू अपनी लगन के
देश को बनाना है
प्यार को बढ़ाना है
एसईजेड का जमाना है
अमेरिकी तराना है
मल्टी नेशनल को बुलाना है
कमीशन खाना है
अपना जमाना है
आए दिन बहार के...!

2 comments:

  1. जश्न मनाओ मन्त्री खुश हैं कि आये दिन बहार के.

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