ऐसी उठापटक है, ऐसा कौवा - कांव.
नौका में जल भर गया पानी में है नाव..
जर्जर नौका पर चले महगाई की धार.
बीच भंवर में काम क्या आएगी पतवार..
आपस में चलती रही फूट फूट औ फूट.
डाकू- चोर मिले रहे लूट लूट औ लूट ..
बिन बरसे बादल गए, गए महीनों- साल.
देश तरक्की कर गया अभी आप बेहाल..
मर्ज हुआ ऐसा हुआ, जिसके सभी मरीज.
डाक्टर भी बीमार है, घर बैठे तू खीझ ..
bahut hi khubsurat kavita........
ReplyDeletevery nice....sir ji
ReplyDeleteमर्ज हुआ ऐसा हुआ.......bahut sundar
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