साथ-साथ

Thursday, February 18, 2010

इतनी असरदार धूप

धूप इतनी असरदार तो है ही
कि उम्र को लगे
और सपने जगा दे

यूं ही नहीं
फैक्टरी में ईंट ढोते-ढोते
सुस्ताने के वक्त
पसीने में तर-ब-तर
मनोहर ने खाया था पान
और बसंती मुस्कुराई थी

बूढ़े हरखू की
जवान बेटी की
रात-दिन की सूखी चिंता
आखिर ख़त्म हो गयी

हरखू सोचते हैं
सुस्ताने के वक्त
तर-ब-तर पसीने में
बेटी थी - पराई थी
और, संतोष की सांस लेते हैं

धूप इतनी असरदार तो है ही !

4 comments: