साथ-साथ

Wednesday, February 17, 2010

धूप में नहा गया

वह धूप में
नहा गया
पसीने में नहा गया
सराबोर
उसे प्यास लगी
बिलकुल ठन्डे पानी की
उसे घड़ा याद आया
उसे याद आया कि
भैंसें किस तरह
आँखें बंद, मुंह ऊपर किये
समूचा धड़, डूब गयी होंगी पोखरी में
उसने पीपल को याद किया
और बंसखार को भी
उसने माथा पोंछा - कनपटी तक
और तेज - तेज चलने लगा
घर की ओर
वह धूप में
नहा गया
सराबोर.

1 comment: