देखो, राम मिलाई जोड़ी !
एक गंगा का दूषित पानी दूजा उसमें पड़ी फिटकिरी
खोज - खाजकर लाये भी तो सोरेन संग मिल गए गडकरी
मोदी - अडवानी की संगत, सुषमा संग हैं अरुण जेटली
शिवराज - रमण की बाट निहारे राजनाथ की चाय-केतली
रेगिस्तानी इक वसुंधरा, पोखरियाल पहाड़ी
खींच - खांचकर किसी तरह से चले सियासी गाड़ी
भगवत-कथा न लागे मोहन कुर्सी जाय न छोड़ी
टूटे रथ के घोड़े बिदके जनता भई निगोड़ी !
देखो, राम मिलाई जोड़ी ......
Waah !!Ekdam Sateek aur sundar !!
ReplyDeleteबेहद सटीक और सार्थक व्यंग रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...बधाई
ReplyDelete