साथ-साथ

Friday, January 15, 2010

प्रार्थनाएं जंगल की

आकाश में चिड़िया नहीं, उड़ती हैं प्रार्थनाएं जंगल की !
कई बार अकेले अकेले, जोड़े में या कतारों में
टापू पर, पहाड़ पर पड़ती है उनकी छाया
और विस्तृत मैदान पसीजते हैं
उड़ती हैं चिड़ियों की शक्ल में
कोटर की, घोंसले की मार सारी चिंताएं
चिंताओं का रंग देखकर बदलता है आकाश का रंग -
शुभ्र, उजला, नीला, गेरुआ, धूसर और काला

चिड़ियों की चिंताओं का रंग कैसा होता है ?

किसी कोटर, किसी घोंसले में
पैदा होती इच्छाएं
चिड़ियों की नन्ही आँखों में समाई
या कि उनके डैनों पर सवार
उड़ती रहती हैं अछोर आकाश में
कहीं से कहीं तक

इच्छाओं का रंग कैसा होता है ?

अभी हो रही है बारिश, कौंध रही है बिजली
भीग रहे हैं वृक्ष, कोटर, घोंसले, उनकी इच्छाएं
और भीगी हुई चिंताएं समेटे
सिमटी बैठी हैं चिड़ियाँ - आँखें मूदे प्रार्थना की मुद्रा में
प्रसन्न हैं देवता
हो रही है बारिश !

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