अरविन्द जी की कविता की सार्थकता उसमे निहित समाजवाद से जुडी है ,आज जब समकालीन कविता भाषा और अभिव्यक्ति के दृष्टिकोण से भूलभुलैया बनती जा रही है ,अरविन्द जी की कवितायें पढ़कर सकून मिलता है |
अरविन्द जी हम तो 1982 से आपके फैन हैं। सूर्योदय हम चाहते नहीं अंधेरी रात से। आपके ये दोहे पहली बार अनौपचारिका में पढ़े थे। जनपद में आकर अच्छा लगा। शुभकामनाएं ।
बहुत बेहतरीन!
ReplyDeleteअरविन्द जी की कविता की सार्थकता उसमे निहित समाजवाद से जुडी है ,आज जब समकालीन कविता भाषा और अभिव्यक्ति के दृष्टिकोण से भूलभुलैया बनती जा रही है ,अरविन्द जी की कवितायें पढ़कर सकून मिलता है |
ReplyDeleteअरविन्द जी हम तो 1982 से आपके फैन हैं। सूर्योदय हम चाहते नहीं अंधेरी रात से। आपके ये दोहे पहली बार अनौपचारिका में पढ़े थे। जनपद में आकर अच्छा लगा। शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteआपके कवितायें पढ़कर सकून मिलता है
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