साथ-साथ

Monday, December 7, 2009

बकरियां और बच्चे

कुल जमा बारह बकरियां हैं - मेमनों समेत

एक औरत है

एक मर्द

और उनके कुल जमा छः बच्चे

बच्चे अदल - बदल कर

बकरियां चराने जाते हैं

दो बच्चे तो बिल्कुल मेमनों जैसे हैं

और छोटी लड़की

औरत के स्तन में मुह दिए

सोती रहती है

या चिचियाती रहती है - उस वक्त

जब औरत उसे अलग कर

रोटी सेंकने या पानी भरने

जैसा काम कर रही होती है ,

सुबह - शाम बच्चों का रोना

और बकरियों का मिमियाना

मिला - जुला आदतन अनुभव बन गया है

जिस पर ध्यान दिए बगैर

औरत अपने सर के बाल

खुजलाती रहती है

और मर्द पीता रहता है बीडी,

वह कभी कभी ही मुस्कराता है - औरत के साथ

जब बच्चे रोते नहीं होते

या बकरियां चुपचाप होती हैं

मगर , यह कभी कभी ही हो पाता है ।

उन दोनों को

देस- दुनिया की कोई ख़बर नहीं होती

बकरियां और बच्चों को छोड़कर

- अगर इन्हें भी देस-दुनिया में

शामिल कर लिया जाए तब !

उन्हें यह नहीं मालूम

की कलकत्ता और मुंबई

या बाकी शहरों में भी

बूचडखाने हैं,

इसीलिये कल

जब एक मेमना गुमसुम हो गया था

और पत्तियां नहीं खा रहा था

तब औरत रो रही थी

और मर्द बीडी नहीं पी रहा था,

यह बेवकूफी आप नहीं कर सकते

क्योंकि आप अखबार पढ़ते हैं

और जानते हैं की

हर जगह बूचड़खाना है।

2 comments:

  1. बकरियाँ और बूचडखाने
    औरत और बच्चे
    मर्द और बीडी
    कहीं कुछ कमी सी लगती है
    क्या ये कविता बस यूं ही लिखी है आपने

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  2. अत्यंत सुन्दर भाव

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