हे इश्वर मैंने तुम्हे अपना एजेंट नहीं बनाया
और इस तरह
अपनी कूबत भर
तुम्हारा बोझ हल्का किया - तुमको नहीं सताया .
मैंने प्रार्थना के गीत नहीं गाये
न गिरगिराया तुम्हारे आगे
पहले से ही लम्बी कतार में खड़े थे अभागे
मैंने तरस खाई
थोड़ी सब्र से काम लिया
और तुम्हे छोड़ दिया
हरदम झींकते रहने वाले अधीर लोभी अपाहिजों के लिए
कम से कम मेरी तरफ़ से निश्चिंत होकर
तुम उन्हें संभाल सको
ठीक से उबाल सको उनके आलू .
जिनको अपनी जिंदगी पर आती है मितली
वैसे लोगों में मैं नहीं हूँ
वे सुनायेंगे तुमको अपनी हाय हाय
पूछेंगे तुम्हीं से उपाय
क्यों उन्हें आती है मितली .
अपने किए और जिए पर
मैंने न तुमको पुकारा
न ख़ुद को धिक्कारा
सोया फ़िर से जागने के लिए
मैंने यह जिंदगी नहीं पायी है
महज भागने के लिए
तुम्हारे पीछे .
तुम्हें चौकीदार तैनात कर पडा रहूँ आँखें मीचे
मैं ऐसा खुदगर्ज नहीं हूँ
मेरी तरफ़ से तुम्हारी छुट्टी
जाओ थोड़ी मौज करो
मेरो अवगुण चित न धरो .
नायाब दर्शन, नि:शब्द हो गया हूं। बहुत चाहने के बाद भी लोगों को इस बात का इतना पुख्ता और तार्किक जवाब नहीं दे पाया कि मैं मंदिर नहीं जाता, धूप दीप नहीं करता, लेकिन सच में मैं भी इससे मिलता जुलता कुछ कह देता था। आपने बहुत लय में कहा है। असरदार। ईश्वर अगर है और वो इसे पढ़े तो ज़रूर प्रभावित होगा।
ReplyDeletebhakti ki badi nyee adaa dikhaee, badhaee.
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढ़े और टिप्पणी करें
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
ReplyDeleteमेरी शुभकामनाएं.
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महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!
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ReplyDeletesir good night.bahut... es se bahut hi anmol bate batai hai app ne. Ea nai ujala dikh raha hai jindgi ka
ReplyDeletenarayan narayan
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