साथ-साथ

Tuesday, October 20, 2009

सम्मोहन

तुम्हारी हंसी देखी
और ख़ुद हंसना भूल गया
एक -एक बूँद आंसू में
मैं जैसे डूब गया
तुम्हारी एक हिचकी
फ़ैल गयी - समूची रात पर
और चाँद उतर आया
धीरे से
मेरे हाथ पर .

2 comments:

  1. तुम्हारी एक हिचकी
    फ़ैल गयी - समूची रात पर

    pyar ho to aisa ho ! stunning emotions !


    arun c roy

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  2. good evening sir ap ki kavita se pyar ka sahi arth samajh me aya

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