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Thursday, August 18, 2011

गीली भादों, रैन अमावस!

शहरों में कहां देखने को मिलेगी गीले भादों की तिमिराच्छन्न अमावस की रात? वह रात, जिसे उत्तराखंड के जंगल में बाबा नागार्जुन ने न सिर्फ देखा था, बल्कि भरपूर जिया भी था। आप भी देखिए, वह रात, जो टीवी के परदे पर नहीं दिख सकती...

जान भर रहे हैं जंगल में/ नागार्जुन

गीली भादों
रैन अमावस...

कैसे ये नीलम उजास के
अच्छत छींट रहे जंगल में
कितना अदूभुत योगदान है
इनका भी वर्षा-मंगल में
लगता है ये ही जीतेंगे
शक्ति प्रदर्शन के दंगल में
लाख लाख हैं, सौ हजार हैं
कौन गिनेगा, बेशुमार हैं
मिल-जुलकर दिप-दिप करते हैं
कौन कहेगा, जल मरते हैं...
जान भर रहे हैं जंगल में

जुगनू हैं ये स्वयं प्रकाशी
पल-पल भास्वर पल-पल नाशी
कैसा अदूभुत योगदान है
इनका भी वर्षा-मंगल में

इनकी विजय सुनिश्चित ही है
तिमिर तीर्थ वाले दंगल में
इन्हें न तुम बेचारे कहना
अजी, यही तो ज्योति-कीट हैं
जान भर रहे हैं जंगल में

गीली भादों
रैन अमावस...

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