धूप निकलती है
बुधुआ बखरी के गोरू
सिवान की ओर हांकता है
जोखू सँभालते हैं फावड़ा
और मंगरी उठाती है खुरपी
इतने में
छः साल की रधिया के सामने से
कलेवा की बासी रोटी
झपट कर भागती है
बिल्ली
रधिया रोने लगती है
तभी उसके नकबहने चेहरे पर
पड़ता है
मंगरी का झन्नाटेदार झापड़
वह एकबारगी घिघिया उठती है
जोखू मंगरी को गरियाते हैं
और साली छिनाल तक कह जाते हैं
फिर दोनों मुंह फुलाये
मालिक के खेत का रास्ता
पकड़ते हैं
रधिया की सिसकी
धीरे - धीरे
धूप में घुलती जाती है
धूप तेज होती है
और गर्मी चढ़ती जाती है.
NICE SIR
ReplyDeleteमर्ज हुआ ऐसा हुआ.....nice
ReplyDeletenice-----
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