साथ-साथ

Friday, February 19, 2010

ग्लोबल गाना

देखो भाई, ग्लोबल है जमाना
बेघर है सुख और दुःख भी बेठिकाना

दरजी को दर नहीं
गाँव को नहर नहीं
कितनों को घर नहीं
कुर्सी को डर नहीं
रूपया भी डूब गया
और हाय डालर नहीं !
टीवी के परदे पर बेपर्दा तराना
देखो भाई, ग्लोबल है जमाना !

पीने को पानी नहीं
किस्से में नानी नहीं
फिलम में कहानी नहीं
गाने में रवानी नहीं.
शहर स्वाभिमानी नहीं
छोड़ जाऊं मैं कोई
ऐसी निशानी नहीं !
लुटेरों की मजलिस दरोगा बिना थाना
देखो भाई, ग्लोबल है जमाना !

हवा है अमेरिका
पानी जापान है,
बाज़ार का तिलिस्म है
बेसुध इन्सान है,
यूरोप की सड़कों पर
सोया हिंदुस्तान है !
जंगल है - जंगल में
नहीं कोई जान है,
जहाँ भी मशीन है
वहीँ भगवान है !
भूसी ही भूसी है फसल बिना दाना
देखो भाई, ग्लोबल है जमाना !

नाव-पतवार है
मगर कोई नदी नहीं,
भूख से जो मर गए
उनकी कोई सदी नहीं,
चिड़ियों से भरा-भरा
कोई आसमान नहीं,
सुन्न है दिमाग और
देह में तूफ़ान नहीं,
अंधों का जमघट है रोशन जिमखाना
देखो भाई, ग्लोबल है जमाना !

बात में कड़क नहीं,
बांह में फड़क नहीं,
सीने में धड़क नहीं.
अरे अरे भड़क नहीं
घर पहुंचाए ऐसी
बनी कोई सड़क नहीं
बेघर है सुख और दुःख भी बेठिकाना
देखो भाई, ग्लोबल है जमाना !

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